वन विभाग के लकड़ी डिपो परिसर में वन अधिकारी, कर्मचारियों की मांसाहारी पार्टी… 

0
409

 

गढ़चिरौली, 29: जंगल परिसर में कोई व्यक्ति साधारण पटाखा या बीड़ी सिगरेट जलाते हुए भी दिख जाए तो तुरंत वन विभाग द्वारा, वन अपराधों के मामलोंको दर्ज करते हुए कड़ी कारवाई करते हैं और हर बात पर वन कानून का झंडा बुलंद करते हैं, कल दोपहर बारा बजे के दरमियान वन विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने लकड़ी के शेड में चिकन और मटन की पार्टी आयोजन किया था जो कि वन विश्राम गृह से महज कुछ दूरी पर स्थित है।

इस घटना से यह भी पता चलता है कि आम लोगों को जंगल के नियम बताने वाले वन अधिकारी और वन कर्मचारी कैसा व्यवहार कर सकते हैं और इस खबर से लोग बड़ी मात्रा में आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक रविवार 29 सितंबर को एक वन अधिकारी के प्रमोशन की खुशी में आठ महिला कर्मचारियों सहित 30 से अधिक वन कर्मचारियों ने वन विभाग के लकड़ी डिपो परिसर में चिकन, मटन समिश पार्टी की थी. दिलचस्प बात यह है कि इस पार्टी में गढ़चिरौली वन रेंज अधिकारी अरविंद पेंदाम, वन रेंज अधिकारी अविनाश भडांगे और कई वन अधिकारी और वन कर्मचारी मौजूद थे।

दरअसल, वन विभाग विश्राम गृह परिसर में मांसाहारी भोजन की अनुमति नहीं है. यदि आप वन विभाग के किसी भी वन विश्राम गृह में जाते हैं तो यह नियम वन विभाग की ओर से अनिवार्य बताया जाता है। तब यहां वन विश्राम गृह से कुछ दूरी पर मांस खा रहे वन अधिकारियों और वन कर्मचारियों को यह नियम याद नहीं आया? या फिर वन विभाग के नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए हैं, वन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नहीं? ऐसे सवाल यह भी पूछा जा रहा हैं कि, वन विभाग के इस लकड़ी डिपो में बड़ी संख्या में सूखी लकड़ियाँ मौजूद हैं. अब बारिश लौट गई है और तेज धूप के कारण यहां की घास सूख गई है. ऐसे में मुर्गों और बकरियों के मांस को पकाने के लिए यहां आग जलाई जाती हैं. इस आग के कारण वन अधिकारियों और वन कर्मचारियों ने यह भी नहीं सोचा कि अगर आग से घास जल जाती और आसपास के पेड़ भी जल जाते तो कितना बड़ा अनर्थ हो सकता था।

सुबह-शाम नागरिक यहां सैर करने आते हैं। सवाल यह भी उठता है कि ऐसी जगहों पर मांसाहारी पार्टियां करना कितना उचित है. इसके अलावा, मांस और शराब के बीच दोस्ती है और यह बताया गया है कि कुछ लोग नशे की हालत में दिखाई दे रहे थे। किसी चीज का जश्न मनाना, पार्टी करना कोई गलत बात नहीं है। लेकिन नागरिक यह भी पूछ रहे हैं कि वन विभाग के सरकारी परिसर में इतनी मांसाहारी पार्टी का आयोजन कैसे किया जा सकता है. किसी भी विकास कार्य में वन कानून को लेकर अडंगा डालकर नियमो की बात करने वाला वन विभाग ऐसी मांसाहारी पार्टियों में सभी नियमों को कैसे ताक पर रख सकता है।

गंभीर बात यह है कि जब वन अधिकारियों से इस संबंध में पार्टी में शामिल वन विभाग के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने सख्त भाषा में कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें कोई पछतावा नहीं है. जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष पहले ही चरम पर पहुंच चुका है। कभी बाघ तो कभी जंगली हाथी विचरण करते रहते हैं। लेकिन इन गंभीर समस्याओं से आंखें मूंदकर वन अधिकारी और वन कर्मचारी मुर्गों और बकरोंका मांस हजम करने में व्यस्त हैं. ऐसे में पहले ही नागरिकों का कोपभाजन बन चुके वन विभाग की छवि धूमिल हो रही है.

“हमारे एक वन अधिकारी का प्रमोशन हो गया। इसके लिए वन विभाग के लकड़ी डिपो परिसर में एक पार्टी रखी गई थी। इसमें 30 से ज्यादा वन अधिकारी, वन कर्मचारी मौजूद थे। ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने कुछ गलत किया है।”

– अविनाश भडांगे, वन परिक्षेत्र अधिकारी, काष्ठा आगर, वन विभाग गड़चिरोली।

 

मुझे इस बात की जानकारी नहीं है,लेकिन रविवार अवकाश के दिन में इस प्रकार की मांसाहार पार्टी का आयोजन करने वाले दोषी वन विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर करवाई की जाएगी.

मिलेशदत्त शर्मा, उप वन संरक्षक अधिकारी ,वन विभाग गड़चिरोली।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here