जेएसडब्ल्यू कंपनी को हर महीने 5 हजार करोड़ का फायदा देने की सरकारी कोशिश…विजय वडेट्टीवार।

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गढ़चिरौली: गढ़चिरौली जिले में निर्धारित समय के भीतर खनन पट्टे पर काम शुरू नहीं करने पर जिंदल के जेएसडब्ल्यू समूह का पट्टा रद्द कर दिया गया है। हालांकि, खनन पट्टे की खुली नीलामी करने के बजाय, राज्य सरकार इस समूह को उसी कीमत पर पुनः खनन पट्टा देने के लिए प्रयास कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो सरकार को प्रति माह 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने शनिवार को गढ़चिरौली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में गंभीर आरोप लगाया कि इस लेन-देन में तीनों सत्तारूढ़ दल और उनके नेता सरकार के बजाय खुद को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

विधायक वडेट्टीवार ने कहा कि जेएसडब्ल्यू ने एटापल्ली-भामरागड़ तालुका में खनन पट्टे पर काम निर्धारित समय के भीतर शुरू नहीं किया। परिणामस्वरूप, नियमानुसार उनकी खनन परमिट स्वीकृति रद्द कर दी गई। जेएसडब्ल्यू को उस समय मात्र 660 रुपये प्रति टन की रॉयल्टी दर पर खनन पट्टा मिला था। राज्य में हाल ही में हुई 7 अन्य लौह अयस्क खदानों की नीलामी में सरकार को 2200 से 2800 रुपए प्रति टन का भाव प्राप्त हुआ है। हालांकि, इस बढ़ी हुई कीमत से सरकार को मिलने वाले लाभ पर विचार किए बिना, सत्तारूढ़ पार्टी के लोग जेएसडब्ल्यू को देसाईगंज तालुका में 2303 हेक्टेयर खनन पट्टा पुरानी दर (660 रुपये प्रति टन) पर देने के लिए कोशिश कर रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह कंपनी प्रति माह 2.5 मिलियन मीट्रिक टन अयस्क निकाल सकेगी, जिससे कंपनी को 5,000 करोड़ प्रति माह की बचत होगी। वडेट्टीवार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल कंपनी के मुनाफे में हिस्सा चाहते हैं और वे इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं। औद्योगिक क्रांति के नाम पर गढ़चिरौली जिले में खनिज लूट चल रही है। इस समय विधायक वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे लोगों की जेबें काफी हद तक भरी जा रही हैं।

 

देसाईगंज तहसील के कई गांव बर्बाद होने की संभावना …

 

जेएसडब्ल्यू ग्रुप को देसाईगंज तालुका में 2303 हेक्टेयर का खनन पट्टा दिया जाएगा। इसमें कुरुड और कोंढाला गांवों की बड़ी मात्रा में जमीन शामिल होगी। इसके अलावा आठ गांव – नैनपुर, वाडेगांव, कोकड़ी और शिवराजपुर – प्रभावित होंगे। इसमें 2 से 3 गांवों का पुनर्वास करना होगा, अन्यथा उस गांव के नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा। इस निजी भूमि का मूल्यांकन करते समय शहर से सटी भूमि को अधिक दर दी जाएगी, जबकि अन्य गांवों की भूमि को कम दर दी जाएगी। वास्तविक निवेश के अनुपात में भूमि अधिग्रहण करने के बजाय, किसानों को सिर्फ इसलिए बर्बाद किया जा रहा है ताकि कंपनी को सस्ते दामों पर जमीन मिल सके।

 

हम उद्योग के विरोधी नहीं हैं। लेकिन किसानों की जमीन लेते समय उन्हें उसी गुणवत्ता की वैकल्पिक जमीन दें और हर दो एकड़ पर एक नौकरी उपलब्ध कराएं, जमीन की कीमत एक करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर हो। इसके अलावा विधायक विजय वडेट्टीवार ने अपेक्षा जताई कि शुरुआत में जितनी जरूरत है उतनी ही जमीन का अधिग्रहण किया जाना चाहिए और जैसे-जैसे कंपनी का विस्तार होगा, उतनी ही जमीन का अधिग्रहण किया जाना चाहिए।

 

इस मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद डॉ. नामदेव किरसान, विधायक रामदास मसराम, कांग्रेस जिला अध्यक्ष महेंद्र ब्राह्मणवाडे, पूर्व जिपं उपाध्यक्ष मनोहर पोरेटी, एडवोकेट. राम मेश्राम, महिला कांग्रेस की कविता मोहरकर, यूवक काँग्रेस के विश्वजीत कोवासे सहित अन्य काँग्रेसी कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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