मुरुम के अवैध खनन का गंभीर मामला… कावले दम्पति का धरना प्रदर्शन आज से…! गढ़चिरौली प्रशासन का लापरवाह रवैया -प्रधान सचिव का आदेश भी नजरअंदाज….

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 कावले दम्पति का धरना प्रदर्शन आज से…
 गढ़चिरौली जिले के कसनसूर वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मुरुम के अवैध खनन का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश वामन कावले और उनकी पत्नी ने प्रशासन की इस निष्क्रियता के खिलाफ आज, 13 फरवरी से गढ़चिरौली में धरना शुरू करने का कड़ा निर्णय लिया है।
 इस गंभीर मामले में प्रशासन को बार-बार लिखित शिकायत की गई, भूख हड़ताल की गई, स्मरण पत्र जारी किए गए, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः न्याय की मांग करते हुए कावले दम्पति ने सीधे महाराष्ट्र वन विभाग के प्रधान सचिव से मुलाकात की और पूरी स्थिति बताई। उनके निर्देशानुसार गढ़चिरौली के मुख्य वन संरक्षक को तत्काल तीन दिन के भीतर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। लेकिन  दुर्भाग्यवश प्रशासन ने इस आदेश को भी शायद कचरे के डिब्बे में रख दिया है।
 क्या यह प्रशासन जनता के लिए काम करता है या भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देता है? ऐसा ही एक आक्रोशपूर्ण प्रश्न अब लोगों के मन में उठने लगा है।
 10 अक्टूबर 2024 को कावले दम्पति मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए थे, जिसमें उस समय प्रशासन ने तीन माह के भीतर कार्रवाई करने का लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत, यह स्पष्ट है कि इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
 इसके चलते अब कावले दंपत्ति ने प्रशासन के खिलाफ सीधी लड़ाई छेड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने दृढ़ निश्चय व्यक्त किया है कि यदि आज से गढ़चिरौली में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो धरना-प्रदर्शन और तेज किया जाएगा।
 इस घटना ने गढ़चिरौली जिले में प्रशासन की कार्यकुशलता पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। सरकारी अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत उजागर हो रही है और यह प्रशासन में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। जब प्रमुख सचिव के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा तो आम नागरिक किससे न्याय मांगे? यह प्रश्न कावले दम्पति ने पूछा है।
 क्या प्रशासन अब तुरंत कार्रवाई करेगा, या कावले दम्पति को न्याय पाने के लिए और कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा? पूरे जिले का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ है।

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