छत्रपती शिवाजी महाराज को सभी मराठों की साथ मिल जाती तो संपूर्ण भारत में हिंदवी साम्राज्य स्थापित हो जाता….मुरलीमनोहर व्यास का प्रतिपादन.

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चंद्रपूर.
महाराष्ट्र राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज को यदी महाराष्ट्र के मराठा सरदारों ने साथ दी होती तो संपूर्ण भारत से मुगल साम्राज्य का अंत हो कर संपूर्ण भारत में हिंदवी साम्राज्य स्थापित हो जाता। लेकिन हिन्दू धर्म का दूर्भाग्य ही रहा कि, हिन्दु धर्म के अनेक मराठा सरदार यहां तक शिवाजी महाराज के कुछ रिस्तेदार भी शिवाजी के विरुध्द रहे। छत्रपति शिवाजी की राजनीति के सिद्धांत कालजयी है।आजके युग में भी अनुकरणीय है। भविष्य में भी अनुकरणीय रहेंगे। ऐसे विचार चंद्रपुर के पत्रकार तथा साहित्यकार मुरलीमनोहर व्यास ने प्रतिपादित किये।
सर्वश्रेष्ठ ज्ञानपिठ सेवा प्रतिष्ठान चंद्रपुर द्वारा व्यास हेल्थ केअर चंद्रपुर के सभागृह में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती समारोह में  बोल रहे थे।
व्यासजी ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म दि 19 फरवरी 1630 के दिन महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ। उनके पिता शहाजी भोसले विजापुर निजाम के सरदार थे। माता जिजाबाई ने बाल्यकालसे ही शिवाजी को स्वराज्य स्थापित करने की प्रेरणा दी।

उनके आधिपत्य में 160 किले थे,उन्होंने अपनी कुटनिती के तहत समय – समय पर परिस्थितीयां देखकर अपने शत्रुओं के साथ समझौते भी किये, जिते हुये किले वापस भी किये , माफी मांगने के नाटक भी किये और परिस्थितीयां अनुकूल होते ही बदले भी लिये, किले वापस छिन भी लिये।
शिवाजी के कार्यकाल में कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला के साथ दूराचार नही कर सकता था , कोई भी व्यक्ति किसी भी नागरिक की जमीन , संपत्ती हडप नही सकता था ऐसा करने वाले को कठोर दण्ड शिघ्राती शिघ्र दिया जाता था। ऐसी न्यायनितीयां आजके समय पर होना आवश्यक है, जिससे दूराचारियों पर अंकुश लग सके।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पूजन ज्ञानपिठ के सचिव डॉ. आशिष व्यास ने किया तथा आभार प्रदर्शन कौशिक व्यास ने किया।

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