सहकारिता की छाया में प्रकाशमय उजाला — सहकारिता महर्षि के जन्मदिन पर गढ़चिरौली में भव्य उत्सव, लेकिन कुछ अनुत्तरित प्रश्न शेष…

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📍 गढ़चिरौली | 25 जुलाई 2025

 

गढ़चिरौली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के संस्थापक, अध्यक्ष और ‘सहकार महर्षि’ का जन्मदिन गढ़चिरौली जिले में बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। बैंक के कर्मचारी, पदाधिकारी, शुभचिंतक और उनके राजनीतिक व सामाजिक दायरे से हजारों लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं।

 

इस अवसर पर गढ़चिरौली शहर के धानोरा रोड स्थित जिला बैंक की मुख्य शाखा के बाहर वाहनों की भारी भीड़ देखी गई। सड़क पर वाहनों की कतारें और भीड़ ने आम नागरिकों का ध्यान खींचा और कई लोगों के मन में यह सवाल उठा कि ‘आखिर बैंक में क्या हो रहा है?’ शहर में चर्चा है कि क्या यह भीड़ सिर्फ़ किसी जन्मदिन समारोह के लिए थी या इसके पीछे कुछ और है।

 

सफलता से परे की वास्तविकता…

 

राज्य के अन्य जिला सहकारी बैंक जहाँ वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, वहीं गढ़चिरौली बैंक ने एक अलग पहचान बनाई है। गढ़चिरौली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को विभिन्न पुरस्कारों, सरकारी सम्मानों और वित्तीय नियोजन के मामले में एक सफल उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस सफलता के पीछे साहूकार के नेतृत्व का हाथ माना जाता है।

 

हालाँकि, सफलता की इस दीवार में कुछ दरारें भी हैं। बैंक में कुछ भर्ती प्रक्रियाओं, खासकर 2019 की भर्ती को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। लाखों रुपये वसूलने, फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने और यहाँ तक कि कुछ अभ्यर्थियों को पैसे लेने के बावजूद नौकरी न मिलने की शिकायतें आजकल सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीतिक चर्चाओं में सुनाई दे रही हैं।

 

राजनीति, सहयोग और सामाजिक कार्य – किसके लिए?

 

साहूकार का राजनीतिक सफर कांग्रेस के दौर में शुरू हुआ था। हालाँकि, 2014 में वे आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गए और सहकारिता क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत की। वे कई सालों से नागपुर में रह रहे हैं और गढ़चिरौली ज़िले से काम करते हैं। उनकी सहकारिता विशेषज्ञता से कोई इनकार नहीं कर सकता, लेकिन साथ ही, उनके काम करने के तरीकों पर कुछ गंभीर सवाल भी उठ रहे हैं।

 

भव्यता से भी बड़ा जन्मदिन?

 

हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का जन्मदिन मनाया गया। लेकिन गढ़चिरौली में एक साहूकार के जन्मदिन पर जश्न, पोस्टर प्रदर्शन, कार्यक्रम और कर्मचारियों की मौजूदगी ने कई लोगों को हैरान कर दिया। क्या यह सिर्फ़ प्यार है या ‘संस्थागत बंधन’? – यह सवाल पूछा जा रहा है।

 

गढ़चिरौली निवासियों की अपेक्षाएँ और प्रश्न…

 

ज़िले के कई युवाओं ने नौकरी की उम्मीद में आवेदन किया, पैसे दिए, लेकिन आज भी वे नौकरी से कोसों दूर हैं। इसका ज़िम्मेदार कौन है? क्या इसकी जाँच होगी? क्या सहकारिता क्षेत्र समाज के हित के लिए होना चाहिए या कुछ चुनिंदा लोगों की रियायतों के लिए? – ये सवाल आज गढ़चिरौली के हर नागरिक के मन में हैं।

 

निष्कर्ष…

 

सहकारिता में साहूकार का अनुभव अमूल्य है। लेकिन सामाजिक कार्य के नाम पर, केवल संगठन तक सीमित कार्य लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा। ‘सहकार महर्षि’ केवल एक उपाधि नहीं, एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। उनके जन्मदिन के अवसर पर, गढ़चिरौली की जनता उनसे इस ज़िम्मेदारी को और अधिक पारदर्शिता से निभाने की अपेक्षा करती है।

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